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स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा
स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा (Electro-static Potential Energy) :- दो अथवा अधिक आवेशों को एक-दूसरे से दूर ले जाने अथवा समीप लाने में कुछ कार्य करना पड़ता है | यह कार्य उन आवेशों के निकाय में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है जिसे स्थिर निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते है |
जहाँ :- Q & q =दोनों वस्तुओ पर उपस्थित आवेश
U = स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा
r =दोनों आवेशों के मध्य दूरी K = नियतांक
- अत: आवेशों के किसी निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा उन आवेशों को अनन्त से परस्पर समीप लाकर निकाय की रचना करने में किये गये कार्य के बराबर होती है |
- स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा का मात्रक ' जूल ' होता है |
- ⇛ यदि दोनों आवेश सजातीय है तो ये एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते है| तब इन्हे एक दूसरे के समीप लाने में प्रतिकर्षण के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है | जिससे निकाय की स्थतिज ऊर्जा बढती है |
- यदि इन्हें एक-दुसरे से दूर लेकर जाते है तो स्वयं निकाय से कार्य प्राप्त होता है | जिससे निकाय की स्थितिज ऊर्जा घटती है |
2. ⇛ यदि आवेश विपरीत प्रकार के (विजातीय) है तो एक दुसरे को आकर्षित करते है | अत: इस दशा में उन्हें परस्पर समीप लाने में निकाय स्वयं कार्य करता है | अत: स्थतिज ऊर्जा घटती है |
- यदि इन्हें एक-दूसरे से दूर ले जाएँ तो निकाय पर कार्य करना पड़ता है | अत: निकाय की स्थितिज ऊर्जा बढती है |
यदि निकाय में दो से अधिक आवेश उपस्थित हो तो कुल ऊर्जा के लिए प्रत्येक युग्म की उर्जा को जोड़ देते है|
→ माना निकाय में तीन Q1,Q2 & Q3 आवेश एवं उपस्थित है | जिसमें Q1 व Q2 के कारण स्थतिज ऊर्जा U1 तथा Q2 व Q3 के कारण U2 एवं Q3 व Q1 के कारण स्थतिज ऊर्जा U3 हो तो निकाय की कुल ऊर्जा U को हम निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते है -
U = U1 + U2 + U3
जहाँ :- U = निकाय की कुल स्थतिज ऊर्जा
U1 = आवेशों Q1 व Q2 के कारण स्थतिज ऊर्जा
U2 = आवेशों Q2 व Q3 के कारण स्थतिज ऊर्जा
U3 = आवेशों Q3 व Q1 के कारण स्थतिज ऊर्जा
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BY :- yours ARJUN THORY {SARLI , BARMER}.
िस्थर विधुत ऊर्जा और चल विधुत ऊर्जा की खोज किसने की थी।
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